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NCST कार्यालय में पूर्व मेयर आशा लकड़ा की शिकायत की सुनवाई

नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) के कार्यालय में बुधवार को आयोग के सदस्य निरुपम चाकमा व जाटोतु हुसैन ने संयुक्त रूप से रांची की पूर्व मेयर डॉ. आशा लकड़ा की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत की सुनवाई की. दरहसल तत्कालीन मेयर डॉ. आशा लकड़ा ने तत्कालीन नगर आयुक्त मुकेश कुमार के विरुद्ध झारखंड नगरपालिका अधिनियम का उल्लंघन कर 577 करोड़ 64 लाख 12 हजार 145 रुपये की 250 योजनाओं में वित्तीय अनियमितता करने का आरोप लगाया था. आयोग के समक्ष उन्होंने यह भी कहा था कि आदिवासी महिला होने के कारण नगर निगम परिषद की बैठक में संबंधित योजनाओं को घटनोत्तर स्वीकृति प्रदान करने के लिए तत्कालीन नगर आयुक्त मुकेश कुमार की ओर से उनपर दबाव बनाया जा रहा था. इस मामले को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री सह नगर विकास मंत्री हेमंत सोरेन व तत्कालीन मुख्य सचिव व नगर विकास विभाग के तत्कालीन सचिव विनय कुमार चौबे को उन्होंने पत्र भी लिखा था लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई. अंततः लाचार होकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में उन्होंने इस मामले की शिकायत दर्ज कराई थी. इस सुनवाई के दौरान तत्कालीन नगर आयुक्त मुकेश कुमार अनुपस्थित रहे. पत्र के माध्यम से उन्होंने आयोग को सूचित किया था कि मुख्यमंत्री की विशेष बैठक के कारण वे निर्धारित तिथि पर उपस्थित नहीं हो सकते. हालांकि रांची नगर निगम के प्रशासक अमीत कुमार सुनवाई के दौरान उपस्थित रहे. उन्होंने आयोग के समक्ष नगर निगम परिषद की बैठक (25 27 व 30 सितंबर 2021) से संबंधित तीन फाइलों की छाया प्रति प्रस्तुत की. इस दौरान आयोग की ओर से पाया गया कि संबंधित फाइलों में तत्कालीन मेयर डॉ. आशा लकड़ा की ओर से तत्कालीन नगर आयुक्त मुकेश कुमार को नोटशीट में दिए गए आदेश की कॉपी गायब कर दी गई है. साथ ही नोटशीट पेज नम्बर में ओवर राइटिंग भी की गई है. आयोग की ओर से प्रशासक अमीत कुमार को निर्देश देते हुए कहा गया कि आगामी बैठक में संबंधित फाइलों की मूल कॉपी के साथ उपस्थित हों. इस मामले पर आयोग की बैठक 02 जुलाई 2024 को होगी. आयोग की ओर से यह भी कहा गया कि पूर्व में इस मामले की जांच को लेकर मुख्य सचिव को दो सदस्यीय टीम गठित करने का आदेश दिया गया था. दो सदस्यीय टीम गठित हुई या नहीं यदि टीम गठित की गई तो उसमें शामिल अधिकारी कौन हैं और उनकी ओर से की गई जांच की रिपोर्ट उपलब्ध कराएं. सुनवाई के दौरान पूर्व में रातू रोड में एनएचएआइ की सड़क पर करोड़ों रुपये की लागत से लगवाए गए पेवर ब्लॉक का मामला भी सामने आया जिसे बाद में एलिवेटेड रोड के निर्माण से पूर्व उखाड़ा गया था. इस दौरान तत्कालीन मेयर डॉ. आशा लकड़ा का पक्ष रखते हुए उनके प्रतिनिधि कुशेश्वर साहू ने आयोग से आग्रह करते हुए कहा कि यह मामला हाई प्रोफाइल है. इसलिए स्वतंत्र एजेंसी या आयोग के माध्यम से भी इस मामले की जांच कराई जा सकती है.

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