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मिथिला संस्कृति का मधुश्रावणी पूजा प्रारंभ

बांका जिले में मिथिलांचल परंपरा के अनुसार मैथिल कन्याओं का पवित्र पूजा मधु श्रावणी श्रद्धा और भक्ति से प्रारंभ हो गया. मिथिलांचल के परंपरा के अनुसार मैथिल कन्याओं के विवाहोपरांत आने वाले प्रथम सावन मास के कृष्ण पक्ष के पंचमी तिथि से प्रारंभ होकर 14   दिनों तक चलने वाले इस व्रत का समापन श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया को होता है. इस पूजन को मधु श्रावणी पूजा कहा जाता है. मैथिल कन्याएं 14 दिनों तक फलहार पर रहकर बिना नमक खाए अपने पति के दीर्घायु होने के लिए शिव गौरी   नाग नागिन की पूजा करती हैं. इस पूजा में ना तो पंडित होते हैं और ना ही पुरोहित महिलाएं ही मिथिला गीत गाकर शिव की स्तुति कर मैथिल कन्याओं को शिव गौरी की कथा सुनाती है.

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