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जयपुर जेल कांड: इलाज के बहाने कैदियों की फरारी... होटलों में रंगरलियां...पुलिसवालों की मिलीभगत से बड़ा खुलासा

रांची/डेस्क:  — राजस्थान की कानून व्यवस्था को धता बताते हुए जयपुर सेंट्रल जेल से इलाज के बहाने बाहर लाए गए चार कैदियों के फरार होने और बाद में होटलों से पकड़े जाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यह मामला महज एक जेल ब्रेक नहीं बल्कि एक संगठित आपराधिक साजिश का हिस्सा नजर आता है जिसमें पुलिसकर्मियों जेल अधिकारियों और कैदियों के परिजनों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।

मुखबिर की सूचना से खुली साजिश
यह सनसनीखेज मामला उस वक्त उजागर हुआ जब 24 मई को एसएमएस थाना पुलिस को एक मुखबिर से जानकारी मिली कि जयपुर सेंट्रल जेल से इलाज के नाम पर लाए गए चार कैदी फरार हो गए हैं। जांच के दौरान पता चला कि एसएमएस अस्पताल के धनवंतरी ओपीडी में लाए गए पांच में से चार कैदी और उनके साथ तैनात पांच पुलिसकर्मी भी गायब हैं। अस्पताल में वही पुलिस की गाड़ी मिली जिससे कैदी लाए गए थे लेकिन न कैदी थे और न ही सुरक्षाकर्मी।

होटलों में मिला अपराधी प्रेम
जानकारी के अनुसार फरार कैदियों में दो — रफीक और भंवरलाल — पर हत्या और बलात्कार जैसे संगीन अपराधों के आरोप थे जबकि दो अन्य — अंकित बंसल और करण गुप्ता — फाइनेंशियल फ्रॉड के मामलों में जेल में बंद थे। इनकी लोकेशन शहर के जालुपुरा और एयरपोर्ट के पास स्थित होटलों में मिली। जब पुलिस ने छापा मारा तो ये चारों कैदी अपने-अपने कमरों में अपनी पत्नियों और गर्लफ्रेंड्स के साथ रंगरेलियां मनाते हुए पकड़े गए।

पुलिसवालों की संलिप्तता
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जिन पुलिसकर्मियों को इन कैदियों की निगरानी करनी थी वे भी उन्हीं होटलों में मौजूद थे और कैदियों की इस योजना में पूरी तरह से सहभागी थे। लालकोठी थाना पुलिस ने चारों कैदियों के साथ-साथ पांचों पुलिसकर्मियों को भी गिरफ्तार कर लिया।

गहराई से रची गई साजिश
जांच में सामने आया कि इन कैदियों को एक महीने पहले एलर्जी जैसी मामूली बीमारी के बहाने अस्पताल रेफर कर दिया गया था। सवाल उठता है कि जेल के डॉक्टर ने ऐसी गैर-गंभीर बीमारी को गंभीर बताकर उन्हें एसएमएस अस्पताल क्यों रेफर किया? क्या यह साजिश महीनों पहले रची गई थी?

ड्रग्स और तस्करी का कनेक्शन
एक और चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब गिरफ्तार कैदी रफीक की पत्नी होटल में ड्रग्स लेकर पहुंची थी जिसे वह जेल में सप्लाई करने वाली थी। इससे स्पष्ट है कि यह मामला केवल रंगरलियों और फरारी तक सीमित नहीं था बल्कि नशे की तस्करी का पहलू भी इसमें शामिल था।

अब तक 15 गिरफ्तारियां
जांच के दौरान अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जिनमें कैदियों की बीवियां गर्लफ्रेंड्स और अन्य मददगार शामिल हैं। होटल प्रबंधन ने इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उन्हें कैदियों की पहचान की जानकारी नहीं थी और एक होटल ने तो कैदियों को आईडी न होने पर एंट्री तक नहीं दी।

अब भी बाकी हैं कई सवाल
जेल के डॉक्टर ने बीमार घोषित क्यों किया?

क्या जेल प्रशासन की भी मिलीभगत थी?

क्या यह एक संगठित रैकेट का हिस्सा है?

राजस्थान पुलिस की जांच जारी है लेकिन इस पूरे मामले ने जेल और पुलिस तंत्र की पोल खोल दी है। अब देखना यह है कि सरकार इस पर कितनी सख्ती दिखाती है और दोषियों को क्या सजा मिलती है।

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