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ED Action: रिलायंस पावर के CFO अशोक पाल गिरफ्तार, ₹68 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में ईडी की बड़ी कार्रवाई

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) अशोक पाल को धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के एक गंभीर मामले में गिरफ्तार किया है। यह मामला ₹68 करोड़ की कथित फर्जी बैंक गारंटी जारी करने से जुड़ा है। ईडी ने उन्हें शुक्रवार रात PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत हिरासत में लिया और शनिवार को विशेष अदालत में पेश किया।

 ₹68 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी का खुलासा

ईडी की जांच में सामने आया कि यह मामला रिलायंस पावर की सहायक कंपनी रिलायंस न्यू बीईएसएस लिमिटेड (पूर्व नाम: महाराष्ट्र एनर्जी जनरेशन लिमिटेड) से जुड़ा है।
इस कंपनी ने सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) के समक्ष ₹68.2 करोड़ की बैंक गारंटी जमा की थी — लेकिन जांच में यह पूरी तरह फर्जी पाई गई।

कंपनी ने दावा किया था कि यह गारंटी फिलीपींस के मनीला स्थित फर्स्टरैंड बैंक से जारी की गई है, जबकि उस देश में इस बैंक की कोई शाखा मौजूद ही नहीं है।
दस्तावेजों को इतनी चालाकी से तैयार किया गया था कि वे असली लगें, लेकिन तकनीकी जांच में वे जाली साबित हुए।

 ओडिशा की कंपनी ‘बिस्वाल ट्रेडलिंक’ का नाम आया सामने

ईडी की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि ओडिशा की ‘बिस्वाल ट्रेडलिंक’ नामक कंपनी इस पूरे घोटाले के केंद्र में थी।
यह कंपनी विभिन्न कारोबारी समूहों के लिए फर्जी बैंक गारंटी जारी करने का गिरोह चला रही थी।

अगस्त 2025 में ईडी ने कंपनी के ठिकानों पर छापेमारी कर MD पार्थ सारथी बिस्वाल को गिरफ्तार किया था।
कंपनी पर आरोप है कि वह 8% कमीशन लेकर फर्जी गारंटी बनाती थी और फर्जी ईमेल डोमेन का इस्तेमाल करके बैंकिंग संस्थाओं को गुमराह करती थी।

 रिलायंस पावर की भूमिका और बोर्ड की मंजूरी

ईडी सूत्रों के मुताबिक, अशोक पाल इस फर्जीवाड़े में मुख्य भूमिका निभाने वाले अधिकारियों में शामिल हैं।
कंपनी के बोर्ड ने उन्हें SECI की बीईएसएस परियोजना के लिए सभी वित्तीय दस्तावेजों की स्वीकृति और हस्ताक्षर का अधिकार दिया था।
इसी अधिकार का उपयोग करते हुए, कंपनी ने रिलायंस पावर की वित्तीय साख का हवाला देकर फर्जी बैंक गारंटी के माध्यम से बोली लगाई।

जांच में यह भी पता चला कि पैसों का लेनदेन कई अघोषित खातों के जरिए हुआ, जिनमें कुछ विदेशी बैंकिंग चैनल से जुड़े थे।

 फर्जी ईमेल और SBI डोमेन का दुरुपयोग

ईडी की जांच में एक बड़ा साइबर खुलासा भी हुआ —
‘बिस्वाल ट्रेडलिंक’ ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के मेल डोमेन से मिलते-जुलते नकली ईमेल पते बनाए थे, ताकि सरकारी एजेंसियों को यह लगे कि संदेश SBI से ही आया है।
इन फर्जी ईमेल्स के जरिये झूठे बैंक संदेश और गारंटी प्रमाणपत्र भेजे गए, जिससे SECI को गुमराह किया गया।
ईडी को संदेह है कि यह नेटवर्क कई कंपनियों को लंबे समय से ठगता आ रहा था।

 मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का पर्दाफाश

जांच में यह भी सामने आया कि फर्जी गारंटी के एवज में कमीशन के तौर पर करोड़ों रुपये का लेनदेन किया गया।
यह धन फर्जी कंपनियों और खातों में ट्रांसफर किया गया।
छापेमारी के दौरान ईडी ने पाया कि बिस्वाल ट्रेडलिंक का दफ्तर वास्तव में एक आवासीय घर था, जहां कोई वास्तविक व्यावसायिक गतिविधि नहीं होती थी।

 रिलायंस ग्रुप की सफाई

रिलायंस ग्रुप ने बयान जारी कर कहा कि कंपनी इस मामले में धोखाधड़ी और जालसाजी की साजिश का शिकार हुई है।
ग्रुप ने बताया कि उसने अक्टूबर 2024 में ही दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में बिस्वाल ट्रेडलिंक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
नवंबर 2024 में कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को इस घटना की जानकारी भी दी थी।
ग्रुप के प्रवक्ता ने कहा, “हम कानून की प्रक्रिया का सम्मान करते हैं और जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग करेंगे।”

दिल्ली पुलिस की एफआईआर से ईडी की एंट्री तक

यह मामला मूल रूप से दिल्ली पुलिस EOW की नवंबर 2024 में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है।
जांच में विदेशी बैंकिंग दस्तावेजों और अंतरराज्यीय ट्रांजैक्शन के संकेत मिलने के बाद ईडी ने केस अपने हाथ में लिया।
अब ईडी इस फर्जी गारंटी के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और मनी लॉन्ड्रिंग के तार खंगाल रही है।

 विशेष अदालत में पेशी और आगे की जांच

ईडी ने शनिवार को अशोक पाल को विशेष PMLA अदालत में पेश किया और रिमांड की मांग की।
एजेंसी का मानना है कि पूछताछ में और कई कंपनियों और उच्च अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं।
साथ ही, यह भी जांच हो रही है कि क्या इस घोटाले के जरिए विदेशों में धन स्थानांतरित किया गया।

 अनिल अंबानी ग्रुप के लिए नई चुनौती

यह मामला अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप के लिए एक और बड़ी कानूनी और प्रतिष्ठात्मक चुनौती बनकर उभरा है।
पहले से वित्तीय संकट से जूझ रही रिलायंस पावर के लिए यह घोटाला निवेशकों के विश्वास और कंपनी की साख पर असर डाल सकता है।
ईडी की यह कार्रवाई यह भी संकेत देती है कि कॉर्पोरेट जगत में बैंकिंग धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग पर अब एजेंसी बेहद सख्त रुख अपनाने जा रही है।

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