झारखंड विधानसभा बजट सत्र समापन.... शांन्ति और सहयोग के साथ चली विस की कार्यवाही... स्पीकर ने सत्ता पक्ष और विपक्ष को दिया श्रेय
झारखंड विधानसभा का बजट सत्र समाप्त हो गया. इस बार का बजट सत्र कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा. 24 फरवरी से 27 मार्च 2025 तक चले इस बजट सत्र के दौरान. जहां हेमंत सरकार आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए पेश किए गए बजट को मंजूरी दी. वहीं सदन के अंदर विनियोग विधेयक समेत कुल पांच विधेयक लाए गए और उन्हें मंजूरी दी गई. झारखंड विधधानसभा का बजट सत्र का समापन हो गया. 24 फरवरी से 27 मार्च 2025 तक चले इस बजट सत्र में क्या कुछ हुआ आइए जानते हैं.
- 1195 प्रश्न स्वीकृत
- अल्पसूचित प्रश्नों की संख्या 246
- 59 अल्पसूचित प्रश्नों के दिए गए उत्तर
- तारांकित प्रश्नों की संख्या 851
- 66 तारांकित प्रश्नों के मिले उत्तर
- 1074 प्रश्नों के उत्तर विभिन्न विभागों से उपलब्ध कराए गए
- 23 प्रश्नों के उत्तर अब भी विभाग के पास लंबित
- अब तक विभाग को नहीं मिले 98 स्वीकृत अतारांकित प्रश्नों के उत्तर
- शून्यकाल में 464 प्रश्न हुए स्वीकृत
- 95 ध्यानाकर्षण सूचना हुए स्वीकृत
- 62 ध्यानाकर्षण सूचनाओं को मिले उत्तर
कार्य दिवसों के दौरान अधिकांश समय सदन की कार्यवाही चलती रही.हालांकि कानून व्यवस्था और सरकार के कामकाज को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोकझोंक भी हुई. बावजूद इसके स्पीकर रबींद्रनाथ महतो सदन की कार्यवाही चलाने में सफल नजर आए. बजट सत्र के समापन पर स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्य मौजूद रहे. और सभी सदस्यों ने सदन के संचालन में सहयोग किया. सदन की कार्यवाही लंबे समय तक चली जो अपने आप में इतिहास है. और देश के अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय है.
झारखंड विधानसभा की कार्यवाही समाप्त होने के बाद. सीएम ने कहा मुझे उम्मीद नहीं थी की विपक्ष इतना कमजोर होगा कि सदन से बाहर चला जाएगा. इतना ही नहीं मुझे पहले से ही पता था. हमारी वार को विपक्ष झेल नहीं पाएगी.
इस बीच संसदीय कार्य मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने बजट सत्र को ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि मैंने अपने 40-45 वर्षों के राजनीतिक जीवन में पहली बार ऐसा बजट सत्र देखा है. जिसमें सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी ने सदन चलाने में सहयोग किया है.
झारखंड विधानसभा का बजट सत्र समाप्त हो गया है लेकिन इस बजट सत्र ने अन्य राज्यों के लिए एक मिशाल पेश की है. जहां कई राज्यों में सदन की कार्यवाही हंगामें की भेंट चढ़ जाती है. वहीं झारखंड विधानसभा की कार्यवाही में पक्ष-विपक्ष दोनों का सहयोग मिलता देखा गया.

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