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PONGAL 2025: चार दिवसीय पर्व की क्या है खासियत... जाने


पूरे दक्षिण भारत में आज हर्षोल्लास के साथ पोगल मनाया जा रहा है. आपको बता दें कि पोंगल एक प्रमुख तमिल त्योहार है जिसे मुख्य रूप से तमिलनाडु में मनाया जाता है. यह त्योहार फसल की कटाई के समय मनाया जाता है और सूर्य देवता को समर्पित होता है. पोंगल का अर्थ “उबालना” होता है जो इस त्योहार के दौरान बनाई जाने वाली “खीर” को दर्शाता है. यह पर्व चार दिनों तक चलता है जिसमें प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व होता है.

पोंगल के चार दिन 

  1. भोगी पोंगल:पहले दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और इंद्र देव की पूजा करते हैं.
  2. थाई पोंगल:दूसरे दिन को थाई पोंगल कहा जाता है जो इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन नई फसल के चावलों को उबालकर खीर बनाई जाती है.
  3. मट्टू पोंगल:तीसरे दिन मवेशियों की पूजा की जाती है और उन्हें सजाया जाता है.
  4. कानुम पोंगल:अंतिम दिन गन्ने दूध चावल आदि से पकवान बनाकर सूर्य देव को भोग अर्पित किया जाता है.

खीर बनाने की प्रक्रिया
थाई पोंगल के दिन विशेष रूप से खीर बनाई जाती है. इसे बनाने के लिए एक बड़े मिट्टी के बर्तन में नई फसल के चावल दूध और गुड़ डाला जाता है. इस मिश्रण को खुले स्थान पर तब तक पकाया जाता है जब तक कि वह बर्तन से बाहर न गिरने लगे. यह प्रक्रिया सुख-समृद्धि से जुड़ी होती है.

सूर्य देवता को भोग अर्पित करना
खीर का भोग सबसे पहले सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है. इसके माध्यम से लोग अच्छी फसल के लिए आभार प्रकट करते हैं. इसके बाद खीर को केले के पत्ते पर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. इसके अलावा गन्ना केला और नारियल भी सूर्य देवता को भोग स्वरूप अर्पित किए जाते हैं.

 

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