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Dennessgate Controversy: जब क्रिकेट से ज्यादा राजनीति में उलझ गई थी भारत-साउथ अफ्रीका सीरीज़

साल 2001-02 का भारत का साउथ अफ्रीका दौरा क्रिकेट इतिहास में सिर्फ बल्लेबाजी और गेंदबाजी के लिए नहीं, बल्कि एक बड़े विवाद के लिए भी याद किया जाता है। भारतीय टीम टेस्ट जीतने की उम्मीदों के साथ मैदान पर उतरी थी, लेकिन मैच रेफरी माइक डेनिस (Mike Denness) के फैसलों ने सीरीज़ को क्रिकेट से ज्यादा राजनीति का अखाड़ा बना दिया। सचिन तेंदुलकर पर बॉल टैंपरिंग का आरोप, सौरव गांगुली पर कप्तानी में नियंत्रण खोने का इल्ज़ाम और वीरेंद्र सहवाग पर बैन ने भारतीय क्रिकेट को झकझोर कर रख दिया। मामला इतना बढ़ा कि तीसरे टेस्ट को टेस्ट का दर्जा ही नहीं मिला। यह घटना आज भी ‘Dennessgate’ विवाद के नाम से जानी जाती है।

जीत की तलाश में टीम इंडिया

1999-2000 में भारत अपने घर में साउथ अफ्रीका से 0-2 से हारा था। ऐसे में 2001-02 का यह दौरा बेहद अहम था। पहले टेस्ट में हर्शल गिब्स की 196 रन की पारी और शॉन पोलक की घातक गेंदबाजी से भारत हार गया। हालांकि सचिन तेंदुलकर और डेब्यू कर रहे वीरेंद्र सहवाग ने शतक लगाकर टीम को उम्मीद दी, वहीं जवागल श्रीनाथ की शानदार गेंदबाजी ने दिखाया कि भारत चुनौती दे सकता है।

डेनिस के फैसलों से मचा बवाल

दूसरे टेस्ट के तीसरे दिन मैच रेफरी माइक डेनिस ने भारतीय खिलाड़ियों पर एक साथ कई आरोप लगाए।

सहवाग, दीप दासगुप्ता, एसएस दास और हरभजन सिंह पर अत्यधिक अपील करने का आरोप लगाकर उनकी मैच फीस का 75% काटा गया।

वीरेंद्र सहवाग को अपशब्द और फर्जी अपील का दोषी ठहराते हुए अगले टेस्ट से बैन कर दिया गया।

कप्तान सौरव गांगुली पर टीम को नियंत्रण में न रखने का आरोप लगाया गया।

सबसे बड़ा झटका तब लगा जब सचिन तेंदुलकर को बॉल टैंपरिंग का दोषी ठहराया गया।

तेंदुलकर पर बॉल टैंपरिंग का आरोप

कैमरों ने तेंदुलकर को गेंद की सीम से घास हटाते हुए कैद किया। तेंदुलकर ने सफाई दी कि वह सिर्फ गेंद साफ कर रहे थे, लेकिन डेनिस ने इसे बॉल की स्थिति बदलने की कोशिश माना। न तो अंपायरों ने कोई शिकायत की और न ही कोई ठोस सबूत था, फिर भी तेंदुलकर को सज़ा दी गई। इस फैसले ने पूरे भारत में गुस्सा भड़का दिया। कोलकाता में डेनिस के पुतले जलाए गए और मीडिया ने इसे अपमानजनक करार दिया।

BCCI बनाम ICC

भारतीय टीम और BCCI ने डेनिस के फैसलों का कड़ा विरोध किया। उनका तर्क था कि साउथ अफ्रीकी खिलाड़ी भी उतनी ही अपील कर रहे थे, लेकिन सज़ा सिर्फ भारतीय खिलाड़ियों को मिली। BCCI ने डेनिस को हटाने की मांग की, मगर ICC ने साफ कहा कि किसी बोर्ड को मैच रेफरी हटाने का अधिकार नहीं है। इसके बावजूद, साउथ अफ्रीकी बोर्ड (UCBSA) और BCCI ने तीसरे टेस्ट के लिए डेनिस को हटाकर डेनिस लिंडसे को रेफरी बना दिया।

‘अनऑफिशियल’ तीसरा टेस्ट

सेंचुरियन में खेले गए तीसरे टेस्ट में सहवाग बाहर रहे और नए ओपनर कॉनर विलियम्स को मौका मिला। लेकिन ICC ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि यह मैच आधिकारिक तौर पर टेस्ट नहीं माना जाएगा। साउथ अफ्रीका ने मुकाबला पारी से जीत लिया। कॉनर विलियम्स ने 42 रन बनाए, लेकिन वे आज तक आधिकारिक टेस्ट क्रिकेटर नहीं माने जाते।

विवाद का अंत और असर

इस विवाद ने क्रिकेट जगत को दो हिस्सों में बांट दिया — एक ओर इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ICC के साथ थे, तो दूसरी ओर भारत और उसके समर्थक। आखिरकार अगले साल माइक डेनिस को रेफरी पैनल से हटा दिया गया। तेंदुलकर ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि यह पूरा विवाद टाला जा सकता था, लेकिन इससे सभी का मन खट्टा हो गया।

Dennessgate आज भी याद दिलाता है कि क्रिकेट सिर्फ मैदान पर खेले जाने वाला खेल नहीं, बल्कि बोर्डरूम की राजनीति से भी गहराई से प्रभावित होता है।

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