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POK Protests Explained : पाक अधिकृत कश्मीर में प्रदर्शन जारी: 9 मौतें, स्थानीय हक़ों की मांग तेज

इस्लामाबाद/गिलगित, 4 अक्टूबर 2025: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में 29 सितंबर से शुरू हुआ प्रदर्शन अब भी जारी है। अब तक इस दौरान 9 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 3 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। प्रदर्शन की वजह हाल की घटनाएं नहीं, बल्कि पिछले दो साल में बढ़ती स्थानीय असंतोष और मूलभूत सुविधाओं की मांगें हैं।

प्रदर्शन की शुरुआत और नेतृत्व

POK में संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (JAAC) के नेतृत्व में लोग सड़कों पर उतरे हैं। इस कमेटी में छात्र, व्यापारी और नौकरीपेशा लोग शामिल हैं। प्रदर्शन की शुरुआत 2023 में बिजली बिलों की बढ़ती दरों और सस्ते गेहूं की मांग को लेकर हुई थी। अब यह आंदोलन स्थानीय लोगों को बेहतर सुविधाएं दिलाने और जीवन आसान बनाने के लिए किया जा रहा है।

29 सितंबर को बंद का आह्वान किया गया था, लेकिन पुलिस कार्रवाई के कारण हिंसक घटनाएं हुईं, जिनमें 9 लोगों की जान गई।

प्रमुख मांगें और असंतोष के कारण

आरक्षित विधानसभा सीटों का विरोध: प्रदर्शनकारियों का कहना है कि 12 विधानसभा सीटें उन कश्मीरियों के लिए आरक्षित हैं जो पीओके में नहीं बल्कि पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में रहते हैं। स्थानीय लोग इसे दुरुपयोग मानते हैं।

बिजली और सुविधाओं में असमानता: मंगला डैम से विद्युत उत्पादन होने के बावजूद स्थानीय लोगों को महंगी दर पर बिजली मिलती है।

विशेषाधिकार का विरोध: यहां की कुछ एलिट क्लास को गाड़ियों के लिए अनलिमिटेड ईंधन और अन्य विशेषाधिकार मिलते हैं, जिसका स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं।

POK का प्रशासन और विधानसभा संरचना

जनसंख्या: अनुमानित 45 लाख (2017 की जनगणना अनुसार 40 लाख)

विधानसभा: 53 सीटें (33 सामान्य, 12 रिफ्यूजी कश्मीरियों के लिए, 5 महिलाओं के लिए, 1 उलेमा/सूफी, 1 विदेश में बसे कश्मीरियों के लिए, 1 टेक्नोक्रेट)

कार्यक्षेत्र: प्रदेश के आंतरिक मामलों में विधानसभा का नियंत्रण, लेकिन सेना, विदेश मामले और बिजली उत्पादन पाकिस्तान सरकार के नियंत्रण में।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

1949 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद हुए सीजफायर के दौरान पाकिस्तान ने कश्मीर का एक हिस्सा कब्जे में रखा।

वहां मुस्लिम आबादी ने पीओके की ओर पलायन किया।

प्रदर्शनकारियों का मानना है कि पाकिस्तान सरकार स्थानीय लोगों के हक़ों और सुविधाओं पर ध्यान नहीं दे रही है। आंदोलन अभी भी जारी है, और प्रशासन की चुनौती इसे शांतिपूर्ण तरीके से नियंत्रित करने की है।

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