Bihar Election 2025: भोजपुरी सितारों का सियासी संग्राम — पवन सिंह, खेसारी लाल और ज्योति सिंह आमने-सामने
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार अब सियासी रणभूमि में आमने-सामने हैं। एक ओर बीजेपी उम्मीदवार पवन सिंह, दूसरी ओर आरजेडी प्रत्याशी खेसारी लाल यादव, और इनके बीच सुर्खियों में हैं पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह, जो काराकाट सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरी हैं।
इस बार का चुनाव सिर्फ राजनीतिक दलों का मुकाबला नहीं, बल्कि भोजपुरी सिनेमा और निजी रिश्तों की जंग भी बन गया है।
पवन सिंह बोले— “अब बिहारी कहलाना गर्व की बात”
बीजेपी प्रत्याशी पवन सिंह ने प्रचार के दौरान कहा,
“मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की साख बदली है। अब बिहारी कहलाना गर्व की बात है।”
जब उनसे खेसारी लाल यादव के खिलाफ प्रचार के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा,
“पार्टी आदेश देगी तो मैं जरूर प्रचार करूंगा।”
लेकिन जब मीडिया ने पत्नी ज्योति सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने पर सवाल किया, तो उन्होंने केवल इतना कहा—
“नो कमेंट्स।”
उनकी यह चुप्पी राजनीतिक गलियारों में कई सवाल छोड़ गई।
ज्योति सिंह का पलटवार— “पवन बेटे तो मैं भी काराकाट की बहू”
निर्दलीय प्रत्याशी ज्योति सिंह इन दिनों काराकाट विधानसभा क्षेत्र में जोरदार प्रचार कर रही हैं। उन्होंने कहा,
“पवन जी कहते हैं कि वो यहां के बेटे हैं, तो मैं भी यहां की बहू हूं।”
उन्होंने दावा किया कि वह किसी के नाम या प्रभाव पर नहीं, बल्कि जनता के भरोसे और अपने काम के दम पर चुनाव लड़ रही हैं।
नामांकन में पति का नाम क्यों नहीं लिखा?
ज्योति सिंह ने अपने नामांकन पत्र में पवन सिंह का नाम शामिल नहीं किया। इस पर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने तीखा जवाब दिया—
“अगर पवन जी का नाम डालती, तो उनकी संपत्ति का भी खुलासा करना पड़ता। जब रिश्ता ही नहीं रहा तो औपचारिकता क्यों?”
उन्होंने यह भी कहा कि,
“अगर नाम पवन जी से मिला, तो बदनामी भी उन्हीं से मिली।”
उनके इस बयान ने चुनावी माहौल में व्यक्तिगत विवादों की आंच और तेज़ कर दी है।
भोजपुरी सितारों के बीच सियासी मुकाबला
इस चुनाव में तीनों कलाकारों की लोकप्रियता का सीधा असर वोटिंग पर पड़ सकता है।
पवन सिंह बीजेपी के स्टार प्रचारक के तौर पर भी काम कर रहे हैं।
खेसारी लाल यादव आरजेडी के युवा चेहरों में गिने जा रहे हैं।
वहीं, ज्योति सिंह खुद को “महिलाओं की आवाज़” और “स्थानीय बेटी जैसी बहू” बताकर समर्थन जुटा रही हैं।
जनता की दिलचस्पी चरम पर
काराकाट विधानसभा इस बार राजनीतिक और व्यक्तिगत दोनों कारणों से चर्चा का केंद्र बन गई है। स्थानीय लोग कहते हैं कि यहां का मुकाबला अब सिर्फ पार्टी के बीच नहीं, बल्कि पति-पत्नी और सिनेमा की सियासत के बीच हो गया है।
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