Breaking News: श्मशान में मिला हैरान करने वाला सच, प्लास्टिक के पुतले का अंतिम संस्कार, करते पकड़े गए चार लोग
कहते हैं इस दुनिया से उस दुनिया में जाने का आखिरी स्टेशन श्मशान या कब्रिस्तान होता है। माना जाता है कि जब भी कोई ऐसी जगह पर आता है तो थोड़ी देर के लिए ही सही, मगर मन सभी बुराइयों से दूर हो जाता है। आम तौर पर जिंदगी के इस आखिरी स्टेशन का माहौल हमेशा गमगीन रहता है। लेकिन आज जिस श्मशान की कहानी है, वहां चिता पर लेटी "लाश" को देखकर आपको अफसोस नहीं होगा, बल्कि शायद आप मुस्कुरा (Smile) उठें। यकीन मानिए, जिस भाई ने ये आइडिया दिया, वह वाकई जुगाड़ू (Innovative) था।
कार से पहुंचे "मुर्दा" लेकर (Dead Body in Car)
गढ़मुक्तेश्वर में स्थित बृजघाट श्मशान की अपनी मान्यता है। गंगा किनारे होने की वजह से दूर–दूर से लोग यहां अंतिम संस्कार करने आते हैं।
27 नवंबर को भी कई चिताएं जल रही थीं, तभी चार लोग एक डेड बॉडी (Dead Body) लेकर वहां पहुंचे।श्मशान की परंपरा के अनुसार मुर्दे को नहलाया जाता है, चिता सजती है और पंडित मंत्रोच्चार करता है। लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग था।
27 नवंबर 2025 की घटना (Incident Date)
एक i20 कार (i20 Car) में चार लोग पहुंचे। उन्होंने लकड़ी, घी और पूजा सामग्री तो खरीदी, लेकिन किसी भी पंडित को नहीं बुलाया। उन्होंने खुद ही चिता सजाई और अब शव लिटाने की बारी थी। लेकिन "शव" अभी कार में ही था।
पंडित को हुआ शक (Suspicion)
एक पंडित की नजर इन चारों पर पड़ी। वह कार के पास गया और जैसे ही उसने "लाश" उठाने के लिए हाथ लगाया, उसे महसूस हुआ कि वजन (Weight) ही नहीं है।उसे शक हुआ और उसने चेहरा देखने की बात कही। बस यहीं से चारों की टेंशन बढ़ गई।
कफन खिसकते ही खुल गया राज (Truth Revealed)
चारों ने बहाने बनाए कि लाश (Body) अस्पताल से सीधी लाई है और चेहरा देखने लायक नहीं है।लेकिन जल्दबाजी में जब कफन थोड़ा खिसका तो पैरों पर नजर गई — और पंडित हैरान! क्योंकि वो पैर किसी इंसान के नहीं, बल्कि एक मैनीक्वीन (Mannequin) के थे — प्लास्टिक के पुतले के।
चिता पर लाश नहीं, पुतला (Mannequin) था
कफन हटते ही सच सामने था — चिता पर एक शोरूम में इस्तेमाल होने वाला पुतला (Display Dummy) लेटा था।
पुलिस को बुलाया गया (Police Called)
मामला आग की तरह फैल गया और श्मशान स्टाफ ने पुलिस को फोन कर दिया। पुलिस पहुंची तो इनमें से दो लोग भाग चुके थे। दो को वहीं पकड़ लिया गया।अब सवाल सभी के मन में था — आखिर कोई श्मशान में पुतले का अंतिम संस्कार (Fake Cremation) क्यों करना चाहता था?
सच सामने आया — बिना मारे चाहता था एक आदमी की "कागजी मौत" (Paper Death Fraud)
कार की तलाशी में डिग्गी से दो और पुतले (Dummies) मिले। पूछताछ में कुछ देर बाद पूरी कहानी सामने आ गई।
कमल सोमानी कौन है? (Who is Kamal Somani?)
कमल सोमानी दिल्ली के पालम का रहने वाला है। करोल बाग में उसकी ड्राइफ्रूट की दुकान (Dry Fruits Shop) थी।वहीं नीरज नौकरी करता था। नीरज का भाई था अंशुल, जिसने अपना Aadhaar-PAN कमल के पते से बनवाया था।दुकान बंद हुई, कर्ज बढ़ा और तभी कमल के दिमाग में एक जुर्माना आइडिया (Fraud Idea) आया।
दूसरे के नाम पर 50 लाख का बीमा (Insurance Scam)
कमल ने अंशुल के आधार और पैन से 50 लाख की बीमा पॉलिसी ली। नॉमिनी भी खुद बना।अंशुल और उसका भाई बिहार चले गए और उन्हें इस बीमा का पता भी नहीं था।कई किश्तें भरने के बाद कमल को लगा कि अब क्लेम (Claim) लेने का समय आ गया है — पर वह "शरीफ" था। वो बिना मारे ही अंशुल की "मौत" चाहता था।
स्याजीश — पुतले को जला दो, रसीद ले लो (Cremate Dummy, Get Receipt)
योजना थी: पुतले को शव बनाकर चिता पर जलाना
श्मशान की रसीद (Cremation Slip) लेना
उसी से डेथ सर्टिफिकेट (Death Certificate) बनवाना
बीमा कंपनी से 50 लाख लेना
यानी पेपर पर मौत (Death on Paper) — असल में इंसान जिंदा।
तीन दोस्तों को शामिल किया (Friends Involved)
अकेले अंतिम संस्कार करना संभव नहीं था, इसलिए तीन दोस्तों को शामिल किया।
तीनों ने तीन पुतले खरीदे और एक को कफन में लपेटकर श्मशान ले आए — लेकिन प्लास्टिक का पुतला ही रंगेहाथ पकड़वा गया।
अब सजा क्या मिलेगी? (Legal Punishment?)
कमल और उसका एक दोस्त पुलिस हिरासत में हैं। बाकी दो जल्द पकड़े जाएंगे।
क्योंकि:
किसी को मारा नहीं
शव नहीं था
सिर्फ फ्रॉड की कोशिश (Attempt to Fraud) हुई
इसलिए धोखाधड़ी की कोशिश का केस बनेगा। जेल में लंबा वक्त नहीं कटेगा।
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