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Sheikh Hasina Case Verdict: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध में फांसी की सजा, विश्वभर में मचा हड़कंप

ढाका। बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा भूचाल आ गया है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ गंभीर अपराधों का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई है। अदालत के इस फैसले ने बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया है।

अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने सुनाया फैसला

जस्टिस मोहम्मद गोलाम मजूमदार की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अपने फैसले में कहा कि शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल ने देशभर में फैली हिंसा को रोकने के बजाय ऐसे कदम उठाए, जिससे हालात और बिगड़े।कोर्ट ने हसीना और कमाल को भगोड़ा घोषित किया।वहीं, चौधरी अब्दुल्ला अल को अदालत में पेश होने पर सजा सुनाई गई।

आरोप क्या थे?

ICT के फैसले के अनुसार—हसीना सरकार ने छात्रों की मांगों को नजरअंदाज किया।जब छात्र सड़क पर उतरे तो हसीना ने उन्हें 'रजाकार' कहकर भड़काऊ बयान दिया।इससे विरोध और उग्र हो गया और देशभर में हिंसा फैल गई।5 अगस्त के दिन चंखारपुल इलाके में 6 प्रदर्शनकारियों की हत्या हुई।कोर्ट ने माना कि यह कार्रवाई हसीना के आदेश पर की गई।आवामी लीग की छात्र एवं युवा इकाइयों ने ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों पर हमला किया।अदालत ने कहा कि हिंसा को नियंत्रित करने के नाम पर सरकारी मशीनरी ने "अत्यधिक बल" का इस्तेमाल किया, जो मानवता के खिलाफ अपराध की श्रेणी में आता है।

बांग्लादेश में हुई हिंसा की पृष्ठभूमि

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार—15 जुलाई से 15 अगस्त 2024 के बीच 1,400 लोगों की मौत हुई।हजारों लोग घायल हुए।हालात बिगड़ने के बाद 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना देश छोड़कर भाग गईं।तत्कालीन गृह मंत्री असदुज्जमां कमाल भी देश छोड़ चुके हैं।

मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार पिछले एक साल से हसीना के प्रत्यर्पण के लिए प्रयासरत है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत को इस संबंध में कई अनुरोध भेजे गए हैं, जिन पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी हलचल

फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हलचल बढ़ गई है। मानवाधिकार संगठनों ने फैसले को लेकर चिंता जताई है, जबकि बांग्लादेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।

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