UP Politics: ज़मानत के 55 दिन बाद आज़म ख़ान फिर जेल भेजे गए, पैन कार्ड मामले में 7 साल की सज़ा — सियासी भविष्य पर बड़ा सवाल
उत्तर प्रदेश की मुस्लिम सियासत के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक आज़म खान एक बार फिर जेल पहुंच गए हैं। ज़मानत पर बाहर आए अभी दो महीने भी पूरे नहीं हुए थे कि रामपुर एमपी–एमएलए कोर्ट ने सोमवार को पैन कार्ड मामले में आज़म खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को दोषी करार देते हुए सात–सात साल की सज़ा और ₹50,000 का जुर्माना सुनाया।
आज़म खान 23 महीने जेल में रहने के बाद 23 सितंबर 2025 को सीतापुर जेल से रिहा हुए थे। लेकिन अब उन्हें फिर जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा है।
जन्म प्रमाणपत्र से लेकर पैन कार्ड तक—कानूनी पेंचों में फंसा परिवार
यह मामला अब्दुल्ला आज़म के दो जन्म प्रमाणपत्रों और उनकी आधार पर बनाए गए दो पैन कार्ड से जुड़ा है।
इसी विवाद की शुरुआत 2017 के विधानसभा चुनाव के समय हुई थी।
बीजेपी नेता आकाश सक्सेना की शिकायत पर मामला दर्ज हुआ।
18 अक्टूबर 2023 को भी जन्म प्रमाणपत्र प्रकरण में कोर्ट ने आज़म खान, उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और अब्दुल्ला आज़म को सात-सात साल की सज़ा सुनाई थी।
इस मामले में:
तंजीम फातिमा को 7 महीने 11 दिन बाद जमानत मिली
अब्दुल्ला को 17 महीने बाद
आज़म को 23 महीने बाद जमानत मिली
लेकिन अब पैन कार्ड प्रकरण में नई सज़ा ने पूरे परिवार को फिर से मुश्किलों में डाल दिया है।
सियासी एक्टिव होने ही लगे थे, तभी लगा ब्रेक
जेल से बाहर आने के बाद आज़म खान तेजी से क्षेत्र में सक्रिय होने की तैयारी कर रहे थे—
रामपुर जाकर अखिलेश यादव से मुलाकात
लखनऊ में फिर मुलाकात
सपा नेताओं से मेल-मिलाप
पश्चिमी यूपी—रामपुर, मुरादाबाद, संभल—में सक्रियता बढ़ाना
उनकी वापसी से रामपुर की सियासत में उनकी पकड़ दोबारा मज़बूत होती दिख रही थी।
लेकिन पैन कार्ड केस के ताज़ा फैसले ने उनके राजनीतिक पुनरुत्थान की कोशिशों पर बड़ा झटका दे दिया।
आजम खान की सियासत: चमक से लेकर पतन तक
एक समय उत्तर प्रदेश की सियासत में आज़म खान की तूती बोलती थी।
वे रामपुर से विधायक
बेटे अब्दुल्ला स्वार टांडा से MLA
पत्नी तंजीम फातिमा राज्यसभा सदस्य
लेकिन 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद लगातार कानूनी मामलों ने उनकी राजनीति को झटका दिया।
आज हालात यह हैं कि परिवार का एक भी सदस्य किसी सदन में नहीं है।
रामपुर की राजनीति भी उनके हाथों से फिसल गई—
सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी आज़म खेमे के नहीं माने जाते
संगठन पर भी उनकी पकड़ कम हो चुकी है
55 दिन की आज़ादी, फिर जेल — सियासी भविष्य अधर में
सिर्फ 55 दिन बाहर रहने के बाद आज़म खान दोबारा जेल भेजे गए हैं।
सात साल की इस सज़ा के बाद:
उनकी चुनाव लड़ने की पात्रता खतरे में पड़ सकती है
सपा में उनकी भूमिका कमज़ोर पड़ सकती है
रामपुर व पश्चिमी यूपी में उनकी पकड़ कमजोर होगी
परिवार की सियासत पर गंभीर संकट गहरा गया है
आज़म खान का प्रभाव रामपुर ही नहीं, बल्कि पश्चिमी यूपी के कई जिलों—मुरादाबाद, संभल—तक फैला रहा है। लेकिन अब उनके जेल जाने से यह पूरा विस्तार कमजोर पड़ सकता है।
क्या बची है वापसी की गुंजाइश?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि:
आज़म खान की उम्र
लगातार कानूनी मामले
पार्टी की आंतरिक राजनीति
इन सब के चलते उनका सियासी भविष्य पहले से अधिक अनिश्चित हो गया है।
हालांकि सपा उनके साथ खड़ी हुई तो स्थिति बदल सकती है, लेकिन यह राह आसान नहीं होगी।
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