Ram Mandir in Bengal : क्या बंगाल में बनेगा भव्य राम मंदिर! चुनाव से पहले साल्ट लेक में अयोध्या-स्टाइल मंदिर का पोस्टर आया सामने
बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले मंदिर–मस्जिद को लेकर बढ़ते राजनीतिक तनाव (Political Tension) के बीच गुरुवार को साल्ट लेक के कई इलाकों में पोस्टर लगाए गए। इन पोस्टरों में शहर के पूर्वी हिस्से में अयोध्या जैसी संरचना (Ayodhya-Style Structure) वाले राम मंदिर परिसर बनाने की योजना बताई गई है। प्रस्तावित परिसर में स्कूल (School), अस्पताल (Hospital), वृद्धाश्रम (Old-Age Home) और अन्य कल्याणकारी सुविधाएँ देने का दावा किया गया है।
एक रुपए का योगदान (One-Rupee Contribution) देने की अपील
ये पोस्टर स्थानीय भाजपा नेता और पूर्व इकाई अध्यक्ष संजय पोयरा के नाम से लगाए गए हैं। सिटी सेंटर, करुणामयी और बिधाननगर के कई प्रमुख स्थानों पर लगाए गए इन पोस्टरों में कहा गया है कि चार बीघा जमीन पर “अयोध्या संरचना के समान” एक राम मंदिर (Ram Temple) बनाया जाएगा। परियोजना के लिए हर व्यक्ति से एक रुपए का योगदान (₹1 Donation) देने का आह्वान किया गया है।
इलाके में भूमि उपयोग (Land-Use Rules) के कड़े नियम
बिधाननगर नगर निगम ने इन पोस्टरों पर कोई टिप्पणी नहीं की है और न ही यह स्पष्ट किया है कि इस तरह के निर्माण के लिए कोई औपचारिक आवेदन (Formal Application) दिया गया है या नहीं। खासकर इसलिए क्योंकि यह एक नियोजित क्षेत्र (Planned Township) है, जहाँ भूमि उपयोग नियम (Land-Use Regulations) बेहद सख्त हैं।
उधर मस्जिद निर्माण को लेकर भी विवाद बढ़ा
यह पूरा घटनाक्रम उस समय सामने आया है जब छह दिसंबर को निलंबित तृणमूल विधायक हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद के रेजिनगर में बाबरी मस्जिद-स्टाइल (Babri-Style Mosque) मस्जिद की नींव रखी। यह कार्यक्रम अभूतपूर्व सुरक्षा (High Security) के बीच आयोजित हुआ था।
बिना अनुमति शुरू हुआ निर्माण, हाईकोर्ट (High Court) में याचिका
रेजिनगर में प्रस्तावित मस्जिद को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में एक और जनहित याचिका (Public Interest Litigation – PIL) दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि जिला प्रशासन और स्थानीय निकायों की अनुमति (Permission) लिए बिना ही शिलान्यास कर दिया गया।अधिवक्ता अर्नब कुमार घोष ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुजय पॉल की पीठ से मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि यह निर्माण राज्य में साम्प्रदायिक सद्भाव (Communal Harmony) बढ़ाने के बजाय एक समुदाय की भावनाओं का राजनीतिक रूप से उपयोग (Political Exploitation) करने का प्रयास है। साथ ही याचिकाकर्ता ने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहले ही बाबरी मस्जिद मामले पर अंतिम फैसला दे चुका है, फिर भी इस नाम पर तनाव बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
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