Anant Singh Arrested: मोकामा में ‘छोटे सरकार’ और ‘दादा’ की जंग — दुलारचंद यादव हत्याकांड से गरमाई बिहार की सियासत
पटना: बिहार के मोकामा विधानसभा क्षेत्र में ‘छोटे सरकार’ और ‘दादा’ की पुरानी दुश्मनी एक बार फिर सियासत के केंद्र में आ गई है। इसकी शुरुआत जन सुराज पार्टी के नेता दुलारचंद यादव की हत्या से मानी जा रही है। हत्या का आरोप भले ही जेडीयू प्रत्याशी और बाहुबली अनंत सिंह पर लगा हो, लेकिन उन्होंने इसे सिरे से खारिज किया है।
दुलारचंद यादव, जिन्हें ‘टाल का बादशाह’ कहा जाता था, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते थे। उनकी हत्या ने न केवल बिहार की राजनीति को झकझोर दिया है, बल्कि 90 के दशक की बाहुबली राजनीति की यादें भी ताजा कर दी हैं।
खूनी इतिहास को भूल रहा था बिहार
90 के दशक का बिहार चुनावी हिंसा और बाहुबल के लिए कुख्यात था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में राज्य इस छवि से उबरता दिख रहा था। मोकामा की यह घटना उस पुराने दौर की याद फिर से ताजा कर गई।
राजधानी पटना से लगभग 95 किलोमीटर दूर यह इलाका कभी बाहुबली राजनीति का गढ़ माना जाता था।
स्थानीय निवासी पवन कुमार कहते हैं —
“यह मुकाबला पार्टियों का नहीं, व्यक्तिगत शक्ति का था। एक एनडीए का चेहरा है तो दूसरा महागठबंधन का। दोनों का टकराव अनिवार्य था।”
हत्या के बाद भड़की सियासी जंग
30 अक्टूबर को हुई इस हत्या के बाद राजनीतिक माहौल पूरी तरह गरमा गया। आरोप है कि अनंत सिंह, जिन्हें लोग “छोटे सरकार” के नाम से जानते हैं, के समर्थकों ने इस हत्या की साजिश रची।
वहीं, अनंत सिंह ने अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारते हुए राजद नेता सूरजभान सिंह (जिन्हें लोग “दादा” कहते हैं) पर साजिश का आरोप लगाया।
सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी इस बार महागठबंधन की उम्मीदवार हैं।
तीन दशक से मोकामा में अनंत सिंह का दबदबा
अनंत सिंह पिछले 35 वर्षों से मोकामा क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं।
1990 से उनका परिवार यहां की राजनीति का केंद्र रहा है —
2000 से 2005 के बीच केवल एक बार सूरजभान सिंह ने उनके भाई दिलीप सिंह को हराया था।
अनंत सिंह ने 2005 में पहली बार जीत दर्ज की और तब से लगातार सत्ता में बने रहे।
2020 में वे राजद टिकट पर जीते, लेकिन आर्म्स एक्ट मामले में अयोग्य घोषित हुए।
2022 के उपचुनाव में उनकी पत्नी नीलम देवी ने सीट जीती।
2024 में हाईकोर्ट से बरी होने के बाद अनंत सिंह अब जदयू प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।
सूरजभान सिंह का सियासी सफर
सूरजभान सिंह 2004 में बलिया लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने थे।
2014 में उन्होंने अपनी पत्नी वीणा देवी को मुंगेर से चुनाव लड़वाया, जो उन्होंने लोजपा के टिकट पर जीता।
2019 में उनके छोटे भाई चंदन सिंह नवादा से सांसद बने।
रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा दो गुटों में बंटी — एक पशुपति पारस, दूसरा चिराग पासवान के साथ।
2024 में सूरजभान ने राजद का दामन थामा और इस बार उनकी पत्नी वीणा देवी मोकामा सीट से चुनाव मैदान में हैं।
‘बैलेट नहीं, बुलेट से तय होगी सत्ता की ताकत’
मोकामा के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार “सत्ता की ताकत बैलेट से नहीं, बुलेट से तय होगी।”
एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है —
“दुलारचंद की हत्या ने चुनाव को खतरनाक मोड़ दे दिया है। अब यह जातीय समीकरण से ज़्यादा बाहुबली प्रभाव की लड़ाई है।”
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में
32% उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले हैं,
और 27% पर गंभीर धाराएं लगी हैं।
मोकामा की सामाजिक बनावट
गंगा किनारे बसे मोकामा की आबादी करीब 2.89 लाख है।
भूमिहार वोटर: 85,000 (दोनों प्रमुख प्रत्याशी इसी जाति से)
यादव वोटर: 40,000
कुर्मी, पासवान, सहनी, धानुक वोटर: लगभग 95,000
पहले यहां भारत वैगन, बाटा और शराब उत्पादन फैक्ट्रियां थीं, जो अब बंद हो चुकी हैं।
स्थानीय लोग कहते हैं —
“ये फैक्ट्रियां बाहुबल की राजनीति की भेंट चढ़ गईं, अब खेती और पशुपालन ही अर्थव्यवस्था का आधार है।”
अनंत सिंह समेत तीन गिरफ्तार
शनिवार को आई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक,
दुलारचंद यादव की मौत “कार्डियो-पल्मोनरी फेल्योर” और सिर व सीने में गंभीर चोटों से हुई।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि गोली लगने के बाद गाड़ी चढ़ाने से मौत हुई।
मामले में तीन FIR दर्ज की गई हैं —
जिनमें अनंत सिंह, उनके भतीजे रणवीर सिंह और करमवीर सिंह समेत दो अन्य के नाम शामिल हैं।
दो पुलिस अधिकारी लापरवाही के आरोप में निलंबित किए गए हैं।
वर्तमान में अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है, और इलाके में भारी पुलिस बल तैनात है।
अब सभी की निगाहें आगामी 6 नवंबर के मतदान पर टिकी हैं कि मोकामा में “बैलेट बनाम बुलेट” की जंग में कौन जीतेगा।
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