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Bihar Elections 2025: पहले चरण में रिकॉर्ड 64.69% मतदान, 1951 के बाद सबसे ऊंचा टर्नआउट — क्या सत्ता बदलने का संकेत?

Bihar Elections 2025: पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में 121 सीटों पर हुए मतदान में 64.69% वोटिंग दर्ज की गई है, जो राज्य के इतिहास में अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। यह रिकॉर्ड 1951 के पहले आम चुनाव से अब तक के सभी आंकड़ों को पीछे छोड़ता है।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इसे “लोकतंत्र की सबसे बड़ी जीत” बताया। उन्होंने कहा,

“बिहार ने पूरे देश को रास्ता दिखाया है। 1951 के बाद सबसे ज्यादा वोटर टर्नआउट, शुद्ध इलेक्टोरल रोल्स और वोटरों की ऐतिहासिक भागीदारी ने लोकतंत्र की सच्ची तस्वीर पेश की है।”

2020 के विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 55.68% मतदान हुआ था, यानी इस बार 8.98% की भारी बढ़ोतरी हुई है।

क्या बढ़ा हुआ टर्नआउट सत्ता बदल देगा?

ऐतिहासिक आंकड़े बताते हैं कि जब भी बिहार में वोटिंग में 5% या उससे ज्यादा का उछाल आया, तब सियासी तस्वीर बदली।

1967: कांग्रेस का पतन, गैर-कांग्रेसी युग की शुरुआत।

1980: कांग्रेस की धमाकेदार वापसी।

1990: लालू प्रसाद यादव का उदय, मंडल राजनीति की शुरुआत।

2005: लालू-राबड़ी राज का अंत, नीतीश कुमार का उदय।

2010: महिला मतदाताओं की भागीदारी से नीतीश की मजबूत वापसी।

अब 2025 में करीब 9% की बढ़ोतरी से सियासी हलचल तेज है — क्या यह इतिहास दोहराएगा?

CEC बोले – 100% वेबकास्टिंग और प्योरेस्ट रोल्स

ज्ञानेश कुमार ने बताया कि इस बार सभी पोलिंग स्टेशनों पर लाइव वेबकास्टिंग की गई और ईवीएम पर उम्मीदवारों की रंगीन तस्वीरें जोड़ी गईं, जिससे भ्रम की स्थिति खत्म हुई।
उन्होंने कहा, “SIR (Special Summary Revision) में zero appeals दर्ज हुईं — यानी बिहार के पास अब देश का सबसे ‘प्योर’ वोटर रोल है।”

राजनीतिक हलचल: नीतीश मजबूत या बदलाव की आहट?

पहले चरण के बाद राजनीतिक पारा चढ़ गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि “एनडीए ने पहले चरण में भारी बढ़त हासिल की है” जबकि प्रशांत किशोर (जन सुराज) ने कहा,

“उच्च मतदान बिहार में बदलाव की आहट है। 14 नवंबर को नई व्यवस्था बनेगी।”

चार संभावित सियासी परिदृश्य

नीतीश कुमार की वापसी: एनडीए को 2010 जैसी मजबूत स्थिति, भाजपा के साथ तालमेल से फायदा।प्रशांत किशोर का उदय: जन सुराज को तीसरे मोर्चे के रूप में पहचान।तेजस्वी यादव की परीक्षा: हार की स्थिति में महागठबंधन बिखर सकता है।छोटे दलों पर असर: सीट शेयरिंग विवादों से नाराजगी, कई सीटों पर सीधी टक्कर।

महिला वोटरों और छठ पर्व का असर

महिला केंद्रित वादे: एनडीए की 1.21 करोड़ महिलाओं को ₹10,000 की सहायता योजना, जबकि महागठबंधन ने ₹30,000 सालाना का वादा किया।

छठ पर्व: इस बार वोटिंग छठ के बाद हुई, जिससे प्रवासी मतदाता बड़ी संख्या में लौटे और मतदान में हिस्सा लिया।

जन सुराज प्रभाव: प्रशांत किशोर के संपर्क अभियान से ग्रामीण वोटर सक्रिय हुए।

चुनावी दिन की घटनाएं

चुनाव कुल मिलाकर शांतिपूर्ण रहा, हालांकि छपरा में मांझी विधायक सत्येंद्र यादव की गाड़ी पर हमला और डिप्टी सीएम विजय सिन्हा के काफिले पर गोबर फेंके जाने जैसी घटनाएं सुर्खियों में रहीं।
सहरसा में शुरुआती घंटों में 15.27% मतदान दर्ज हुआ, जो रिकॉर्ड रहा।

बक्सर और फतुहा में कुछ स्थानों पर मतदान बहिष्कार की कोशिशें हुईं, लेकिन प्रशासन ने समझा-बुझाकर मतदान कराया।

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